स्कूलों में बच्चों के खेलकूद की प्रतियोगिता आम है। लेकिन यदि बच्चों की मम्मियों के लिए खेलकूद की प्रतियोगिता का आयोजन किया जाए तो क्या कहने। बच्चे भी अपनी मम्मियों को खेलकूद करते देखकर उत्साहित तो होंगे ही, इसके साथ उनमें भी इसके प्रति रुचि जगेगी। तो इस तरह की खेल प्रतियोगिताएं समय-समय पर आयोजित की जानी चाहिए और ऐसा होते रहने से सभी के साथ स्कूलों में भी नए नई सोच विकसित होगी।
हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में पिछले दिनों आयोजित हुए मम्मियों की खेल प्रतियोगिता की।
बताया जा रहा है कि स्कूलों में बच्चों को अच्छा वातावरण मिले इसके लिए बेहतर प्रयास किए गए है। कुछ स्कूलों को रंग-बिरंगे कलर से रंगाई-पुताई के साथ पेंटिंग गई है। वही बाउंड्रीवाल पर भी उम्दा चित्रकारी कर बच्चों को स्कूल में रोज़ आने और दाखि़ला लेने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। ताकी बच्चों में बेवजह स्कूल नहीं आने और नहीं पढऩे की जो नकारात्मकता है, उसे दूर किया जा सके।
इसके लिए आज शुक्रवार को बच्चों की मम्मियों-बहनो के लिए प्राथमिक शाला गुडरापारा में खेल कार्यक्रम रखा गया। जिसमे में रोचक खेल कराये गए। खेलों में छत्तीसगढ़ी गीत पर ईंट पकड़, मुँह से पकड़कर जलेबी खाओ, अपने बच्चों को एक मिनट में कितनी बिंदी लगाओ और ग्लास में बेलूँन डालकर और उसे फूलाकर दूसरी जगह रखना जैसे रोचक खेल देखने मिले। स्कूल की सभी बच्चों की माताओं ने खेल में हिस्सा लिया और खूब आनंद भी लिया। कुछ माताओं ने कहा कि उन्हें अपना बचपन याद आ गया। उन्होंने कहा कि वे भी कभी स्कूल जाती थी, और ऐसे ही खेला करती थी। अब वह समय बीत गया है।
लेकिन आज ऐसा लगा कि हमारा बचपन अब लौट आया। माताओं ने इसके लिए स्कूल के शिक्षकों को आयोजन के लिए धन्यवाद दिया। बच्चों ने भी अपनी माँ-बहिनों का ताली बजाकर उत्साह बढ़ाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी।