वैसे संस्कृत को दुनिया की सबसे प्राचीनतम भाषा माना जाता है। इसे लेकर पूरी दुनिया में बहस और चर्चाएं भी चलती रहती हैं। लेकिन अब संस्कृत को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए संस्कृत मैनुअल तैयार कर लिया गया है। अब इसे संस्कृत शैक्षणिक सत्र 2020 में पहले तीन केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालयों, अन्य संस्कृत विश्वविद्यालयों व कॉलेजों को नेशनल असेसमेंट एंड एक्रिडिटेशन काउंसिल (नैक) से मान्यता मिलेगी।
वहीं बताया जा रहा है कि पहले संस्कृत मैनुअल के आधार पर नैक की मान्यता मिलने से इनकी रैंकिंग और रिसर्च में बदलाव होगा। इससे इनके नैक स्कोर के साथ रैंकिंग के नंबर में भी सुधार दिखेगा। इसी के तहत संस्कृत विश्वविद्यालय भारत और अंतरराष्ट्रीय क्यूएस रैंकिंग की दौड़ में भी शामिल हो सकेंगे।
यूजीसी की संस्कृत मैनुअल कमेटी के मुताबिक, संस्कृत विश्वविद्यालयों को पहली बार संस्कृत मैनुअल के आधार पर नैक की मान्यता मिलेगी। नैक मान्यता के पहले संस्कृत मैनुअल तैयार हो चुके हैं। मोदी सरकार ने संस्कृत को पहचान दिलाने के मकसद से संस्कृत मैनुअल तैयार करवाए गए हैं। इन्हीं मैनुअल के आधार पर नैक टीम विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में जांच करके स्कोर देगी।
आपको बता दें कि सामान्य विश्वविद्यालयों की तुलना में संस्कृत विश्वविद्यालयों में अलग ढंग से पढ़ाई होती है। संस्कृत मैनुअल के तहत अब इंटरडिसिप्लनेरी पढ़ाई का रास्ता खुल जाएगा। इसमें छात्रों को पारंपरिक और आधुनिक पढ़ाई करवाकर निपुण किया जाएगा। इसके अलावा संस्कृत विवि में बीएस योग साइंस, एमएससी योग साइंस व मैनेजमेंट ऑफ भागवत गीता कोर्स भी है। अभी तक इन कोर्स को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कोर्स को मान्यता नहीं मिलती थी।
वैसे संस्कृत अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने ये पहल काफी सराहनीय है। इससे अंतरराष्ट्रीय पहचान के साथ-साथ संस्कृत के प्रति लोगों में जागरूकता भी आएगी और इसे कैरियर बनाने की ओर भी वे अग्रसर होंगे। वैसे संस्कृत की पढ़ाई अभी बहुत कम भी क्षेत्रों में हो रही है। लेकिन नैक की मान्यता और अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल जाए तो इसका क्षेत्र और भी व्यापक होगा।